Short Stories in Hindi for Kids | Hindi Moral Stories for Kids

यहां पर हम आपको कुछ Short Stories in Hindi for Kids उपलब्ध करा रहे हैं। ये कहानी आपके जीवन में कुछ ना कुछ बदलाव लाएंगे प्रेरक नैतिक कहानियाँ हिंदी में जो आपके दिल को मोहित कर लेंगी और बच्चों को अच्छा ज्ञान देगी।

Short Hindi Story

सम्राट और बूढ़ा आदमी (Short Hindi Story)

एक समय की बात है, एक राज्य में शक्तिशाली सम्राट रहता था। वह अपने धन, वैभव और विशाल साम्राज्य पर शासन के लिए जाना जाता था। हालाँकि, सम्राट अपने अहंकार और विश्वास के लिए भी जाना जाता था कि वह दुनिया का सबसे बुद्धिमान व्यक्ति था। एक दिन, जब सम्राट अपने खूबसूरत बगीचे में टहल रहा था, तो उसने एक बूढ़े व्यक्ति को एक पेड़ के नीचे बैठे देखा। उस बूढ़े व्यक्ति की लंबी सफेद दाढ़ी थी और चेहरे पर बहुत झुर्रियां थी ।

उत्सुक होकर, सम्राट उसके पास पंहुचा और पूछा, “सुनो बूढ़े आदमी, क्या तुम मानते हो कि मैं दुनिया का सबसे बुद्धिमान व्यक्ति हूं?”

बूढ़े आदमी ने सम्राट की ओर देखा और मुस्कुराया। “महाराज, बुद्धि धन या शक्ति से निर्धारित नहीं की जा सकती। यह व्यक्ति के अनुभव और ज्ञान से आती है।”

बूढ़े व्यक्ति की प्रतिक्रिया से सम्राट को गुस्सा आ गया और उसने उसे गलत साबित करने का फैसला किया। उसने बूढ़े व्यक्ति को परीक्षण के लिए चुनौती दी। परन्तु यह चुनौती सरल थी: बूढ़े व्यक्ति को तीन कठिन प्रश्नों का उत्तर देना था। यदि वह उनमें से किसी का भी उत्तर देने में विफल रहा, तो उसे राज्य से हमेशा के लिए बहार कर दिया जाएगा।

पूरा राज्य इस चुनौती को देखने के लिए एकत्र हुआ। सम्राट अपने स्वर्ण सिंहासन पर बैठ गया, जबकि बूढ़ा व्यक्ति उसके सामने शांति से खड़ा था। पहला प्रश्न पूछा गया, “दुनिया का सबसे बड़ा खजाना क्या है?”

बूढ़े व्यक्ति ने एक पल के लिए सोचा और उत्तर दिया, “दुनिया में सबसे बड़ा खजाना अच्छा स्वास्थ्य है। इसके बिना, सभी धन और शक्ति का कोई मतलब नहीं है।”

बूढ़े व्यक्ति के उत्तर से सम्राट अचंभित रह गया। उसने अपेक्षा की थी कि वह सोने, जवाहरात या शक्ति के बारे में बोलेगा। भीड़ बूढ़े व्यक्ति की बुद्धिमानी भरी प्रतिक्रिया से सहमति जताते हुए बड़बड़ाने लगी।

दूसरा प्रश्न पूछा गया, “दुनिया की सबसे मूल्यवान चीज़ क्या है?”

बूढ़े व्यक्ति ने कुछ देर सोचा और उत्तर दिया, “दुनिया में सबसे मूल्यवान चीज़ समय है। एक बार यह चला गया, तो इसे कभी वापस नहीं पाया जा सकता। यह किसी भी भौतिक संपत्ति से अधिक कीमती है।”

बूढ़े व्यक्ति के उत्तर से सम्राट आश्चर्यचकित रह गया। उसने अनुमान लगाया था कि बूढ़ा आदमी ज़मीन या पैसे जैसी किसी ठोस चीज़ का ज़िक्र करेगा। भीड़ बूढ़े व्यक्ति की बुद्धिमत्ता से आश्चर्यचकित थी और सहमति में सिर हिलाया।
अंत में तीसरा प्रश्न पूछा गया, “दुनिया में सबसे महत्वपूर्ण चीज़ क्या है?”

बूढ़े व्यक्ति ने मुस्कुराते हुए उत्तर दिया, “दुनिया में सबसे महत्वपूर्ण चीज़ प्यार है। यह खुशी, करुणा और एकता की नींव है। प्यार के बिना, जीवन अपना अर्थ खो देता है।”

सम्राट अवाक रह गया। उसे एहसास हुआ कि बूढ़े व्यक्ति की बुद्धि उसकी बुद्धि से कहीं अधिक थी। उन्होंने विनम्रता और ज्ञान के सही अर्थ के बारे में एक मूल्यवान सबक सीखा। बूढ़े व्यक्ति के गहन ज्ञान को पहचानकर भीड़ तालियाँ बजाने लगी।

उस दिन के बाद से, सम्राट ने अपने तोर तरीके बदल दिये। उन्होंने बूढ़े व्यक्ति का मार्गदर्शन मांगा और दूसरों की बुद्धिमत्ता को महत्व दिया। वह एक निष्पक्ष और न्यायप्रिय शासक बन गया, जो अपनी करुणा और विनम्रता के लिए जाना जाने लगा।

नैतिक शिक्षा

सम्राट और बूढ़े व्यक्ति की कहानी हमें सिखाती है कि बुद्धि को केवल धन या शक्ति से नहीं मापा जा सकता है। सच्चा ज्ञान व्यक्ति के अनुभव, ज्ञान और विनम्रता में होता है। यह हमें दूसरों की बुद्धिमत्ता को महत्व देने और अपने जीवन में विनम्रता अपनाने के लिए प्रोत्साहित करता है।

तो, प्रिय कक्षा 3 के विद्यार्थियों, सम्राट और बूढ़े व्यक्ति की यह कहानी हमेशा याद रखें। न केवल किताबों में बल्कि अपने आस-पास के लोगों में भी ज्ञान की बाते खोजें। विनम्रता अपनाएं और दूसरों से अच्छी बाते सीखने के लिए हमेशा आगे रहें।

बंदर और बिल्ली की कहानी (Short Stories in Hindi for Kids)

एक बार की बात है, घने जंगल में एक शरारती बंद और चतुर बिल्ली रहती थीं। बंदर अपने चंचल स्वभाव के लिए जाना जाता था, जबकि बिल्ली अपनी चतुराई के लिए जानी जाती थीं।

एक दिन, बंदर की नज़र एक स्वादिष्ट केले के पेड़ पर पड़ी और उसका मन करा की काश मैं उन केलो को खा पाता। उस केले के पेड़ की रखवाली एक भयंकर और क्रोधी शेर कर रहा है। बन्दर को डर लग रहा था की अगर मैं उस पेड़ के पास गया तो शेर उसको पकड़ लेगा। पर फिर भी वह अपने आप को नहीं रोक सका और केला तोड़ने के लिए आगे बढ़ा, जैसे ही बन्दर आगे बढ़ा, शेर ने जोर से दहाड़ कर उसे डरा दिया। बंदर निराश हो गया और वापस अपने पेड़ पर आ गया।

और यह सारा दृश्य बंदर की दोस्त बिल्ली दूर से देख रही थीं। उसने बंदर की असफल कोशिश देखी और उसकी मदद करने का फैसला किया।

बिल्ली बन्दर के पास गयी और उसको अपनी योजना बताई। बिल्ली ने सुझाव दिया कि वे शेर का ध्यान भटकाएगी और तुम जल्दी से उस पेड़ से कुछ केले ले लेना। कुछ ही देर में बिल्ली शेर के पास पहुँची और उसका ध्यान आकर्षित करने के लिए जोर-जोर से म्यांऊ करने लगी।

जैसे ही शेर ने बिल्ली की ओर अपना सिर घुमाया, बन्दर चुपचाप केले के पेड़ पर चढ़ गया और एक-एक करके केले गिराने लगा , जिससे ऐसा लगे जैसे वे स्वाभाविक रूप से गिर रहे हों। बिल्ली की म्याऊं-म्याऊं से विचलित शेर का ध्यान उनकी चतुर चाल पर नहीं गया।

जैसे ही बन्दर ने आखिरी केला गिराया, शेर को एहसास हुआ कि ये क्या हो रहा है। वह गुस्से में दहाड़ता हुआ बिल्ली का पीछा करने लगा। बिल्ली तेजी से जंगल की ओर भागीं। बंदर पेड़ से नीचे आया और जल्दी से जितने हो सके उतने केले इकट्ठा करके वहां से भाग गया।

आख़िरकार, बिल्ली शेर का ध्यान भटकाने में कामयाब रहीं और बंदर के पास लौट आईं। वे दोनों शेर से कमजोर थे लेकिन फिर भी उससे जीत गए।

बंदर ने बिल्ली को उसकी बहादुरी और चतुराई के लिए धन्यवाद किया । उस दिन से, दोनों दोस्त पेड़ से लाये स्वादिष्ट केलो को एक-दूसरे में बाँटने लगे और हमेशा क्रोधी शेर पर नज़र रखने लगे।

कहानी की शिक्षा

बंदर और बिल्ली की कहानी हमें दोस्ती, टीम वर्क और चतुर सोच का महत्व सिखाती है। यह दर्शाता है कि जब हम एक साथ काम करते हैं और अपनी ताकत का उपयोग करते हैं, तो हम अपने रास्ते में आने वाली किसी भी बाधा को दूर कर सकते हैं।

रंगीन अंडे देने वाली मुर्गी की कहानी (Short Stories in Hindi for Kids)

एक समय की बात है, एक छोटे से गाँव में, एक बहुत ही खास मुर्गी रहती थी। यह मुर्गी कोई साधारण मुर्गी नहीं थी – उसमें रंगीन अंडे देने की अद्भुत क्षमता थी! इस अद्भुत मुर्गी की खबर तेजी से पूरे गांव में फैल गई, और हर कोई उसके रंगीन अंडों को देखने को उत्सुक था। यह बात गाँव के स्कूल तक पहुंच गई और पहली कक्षा के बच्चे इस अद्भुत मुर्गी के बारे में और अधिक जानने के लिए विशेष रूप से उत्साहित थे।

एक दिन सुबह, मुर्गी के मालिक, मोहन नाम के एक दयालु किसान ने मुर्गी को स्कूल में लाने का फैसला किया ताकि बच्चे उसे खुद देख सकें। जैसे ही मोहन मुर्गी को गोद में लेकर कक्षा में दाखिल हुआ, तो बच्चे बहुत खुश हो गए ।

मोहन ने धीरे से मुर्गी को कक्षा के बीच में एक रंगीन चटाई पर रख दिया। मुर्गी ख़ुशी से कुड़कुड़ाने लगी, बच्चे चारों ओर इकट्ठे हो गए, उनकी आँखें आश्चर्य से भर गईं।

और फिर, जादू की तरह, मुर्गी ने अपना पहला अंडा दिया। लेकिन ये कोई आम अंडा नहीं था. वह चमकीला नीला रंग था, बिलकुल गर्मियों के साफ़ आसमान की तरह। बच्चे आश्चर्य से देखने लगे, उन्हें अपनी आँखों पर विश्वास नहीं हो रहा था।
मुर्गी का मालिक मुर्गी को रोज़ स्कूल ले जाता
जैसे-जैसे दिन बीतते गए, मुर्गी अलग-अलग रंग के अंडे देती रही। प्रत्येक नये रंग के अण्डे देखकर बच्चे बहुत खुश होते थे।

बच्चे यह देखने के लिए इंतजार नहीं कर सकते थे कि मुर्गी के अंडे अगले किस रंग के होंगे। वे हर सुबह मुर्गी के पास इकट्ठा होते थे और जादुई अंडे देने का इंतज़ार करते थे। जब भी कोई नया अंडा सामने आता तो वे खुशी से खिलखिलाते और ताली बजाते।

अंडे न केवल दिखने में शानदार थे, बल्कि उनका स्वाद भी स्वादिष्ट था। मोहन अंडे इकट्ठा करता था और उन्हें बच्चों के साथ बांटता था, जो दोपहर के भोजन के समय उन्हें खाते थे। अंडे न केवल बच्चों में उत्साह बल्कि एकता की भावना भी लेकर आए।

कहानी की शिक्षा

यह हमें याद दिलाती है कि कभी-कभी, सबसे सामान्य चीजें भी सबसे असाधारण हो सकती हैं। यह हमें उस सुंदरता की सराहना करना सिखाता है जो सबसे सरल चीजों में पाई जा सकती है, जैसे कि रंगीन अंडे देने वाली मुर्गी।

पहली कक्षा के जिन बच्चों ने इस जादुई मुर्गी को देखा, वे बड़े होकर अपने बच्चों और पोते-पोतियों को उस अविश्वसनीय मुर्गी के बारे में बताने लगे जो उनके जीवन में रंग और खुशी लेकर आई।

चतुर खरगोश और शेर की कहानी Short Stories in Hindi for Kids

एक बार की बात है, हरे-भरे जंगल में, राजू नाम का एक चतुर छोटा खरगोश रहता था। वह अपनी तेजी से सोचने की क्षमता और चालाक रणनीतियों के लिए जाना जाता था।

राजू जंगल का सबसे ताकतवर या तेज़ जानवर नहीं था, लेकिन उसने अपनी बुद्धि और समझदारी से इसकी भरपाई कर ली। एक दिन, जब राजू इधर-उधर घूम रहा था, उसने देखा कि लियो नाम का एक भयंकर शेर उसकी ओर आ रहा था। लियो जंगल का राजा था और उससे सभी जानवर डरते थे। राजू जानता था कि अगर उसे शेर से बचना है तो उसे शेर को मात देनी होगी।

राजू ने तुरंत एक योजना बनाई। वह लियो के पास गया और मित्रवत मुस्कान के साथ उसका स्वागत किया।

“शुभ दिन, महामहिम! मैंने आपकी ताकत और बहादुरी के बारे में बहुत कुछ सुना है,” राजू ने शेर की चापलूसी करने की कोशिश करते हुए कहा।

लियो, खरगोश की बातें सुनकर गर्वित महसूस करने लगा और बहुत प्रसन्न हो गया। उसने अपनी छाती फुलाकर उत्तर दिया, “धन्यवाद, छोटे खरगोश! मैं वास्तव में जंगल का सबसे मजबूत और बहादुर जानवर हूं।”

राजू ने शेर की ताकत से आश्चर्यचकित होने का नाटक किया और कहा, “हे महाराज, मुझे हमेशा आश्चर्य होता है कि आपको इतनी अद्भुत ताकत कैसे मिलती है। क्या कोई रहस्य है जिसे आप मेरे साथ साझा कर सकते हैं?”

खरगोश की जिज्ञासा से खुश होकर शेर ने शेखी बघारी, “ठीक है, छोटे खरगोश, मेरी ताकत उस पानी से आती है जो मैं जंगल के जादुई कुएं से पीता हूं। यह मुझे बेजोड़ शक्ति देता है और मुझे जंगल का राजा बनाता है।”

राजू की योजना सफल हो रही थी। उसने उत्सुकता दिखाते हुए कहा, “ओह, कितनी आकर्षक बात है ! क्या आप कृपया मुझे वह जादुई कुआँ दिखा सकते हैं, महामहिम?

अपनी ताकत दिखाने के लिए उत्सुक लियो, राजू को जादुई कुएं में ले जाने के लिए सहमत हो गया। वे दोनों उछलते-कूदते जंगल में चलते रहे, जब तक कि वे एक गहरे कुएँ तक नहीं पहुँच गए।

“यहाँ है, छोटा खरगोश,” लियो ने गर्व से कहा। “वह जादुई कुआँ जो मुझे ताकत देता है।”

राजू ने चकित होने का नाटक करते हुए कहा, “हे महाराज, यह सचमुच जादुई लग रहा है! क्या आप मेरे सामने इस शक्तिशाली पानी को पी कर दिखा सकते है ?”

बिना किसी हिचकिचाहट के, लियो कुएं पर झुक गया और काफी देर तक पानी पीया। लेकिन जैसे ही वह पानी पी रहा था, राजू तेजी से दूर चला गया और चिल्लाया, “जल्दी करो, महाराज! जादुई कुआँ ढह रहा है!”

चौंककर शेर ने ऊपर देखा और कुएं में दूसरे शेर का प्रतिबिंब देखा। यह सोचकर कि यह कोई दूसरा शेर उस पर हमला कर रहा है, लियो को गुस्सा आ गया और उस दूसरे शेर से लड़ने के लिए कुएं में कूद गया।

यह सारा दृश्य खरगोश दूर से देख रहा था और आखिरकार उसने जंगल के राजा को सफलतापूर्वक मूर्ख बना दिया और सभी जानवरो को उसके चंगुल से बचा लिया।

यह बात पुरे जंगल में फैल गयी और उस दिन से खरगोश जंगल का सबसे बुद्धिमान जानवर बन गया।

कहानी की शिक्षा

इस कहानी से हमे यह सीख मिलती है की हमेशा ताकत से नहीं दिमाग से भी काम लेना चाहिए।

खरगोश और कछुआ की दौड़ (The Hare and Tortoise Short Story)

एक बार एक खरगोश और कछुए के बीच दौड़ हुई । खरगोश बहुत तेज था और कछुआ बहुत धीमा था। सभी को यकीन था कि खरगोश दौड़ जीत जाएगा, लेकिन कछुए की एक योजना थी।

जैसे ही दौड़ शुरू हुई और खरगोश भाग गया, उसे विश्वास था कि वह आसानी से जीत जाएगा। वह इतना निश्चित था कि उसने बीच रास्ते में ब्रेक लिया और झपकी लेने के लिए रुक गया। दूसरी ओर, कछुआ धीरे – धीरे लेकिन लगातार चलता रहा।

कई घंटों बाद, जब खरगोश जागा तो उसने महसूस किया कि वह तो बहुत पीछे रह गया है । वह जल्दी से उठा और तेजी से कूद कूद कर भागा, लेकिन बहुत देर हो चुकी थी। कछुआ पहले ही फिनिश लाइन पार कर चुका था।

दर्शकों ने कछुए की जय – जयकार की। वे चकित थे कि धीमी और स्थिर गति होने के बावजूत कछुआ ने तेजी से खरगोश को हरा दिया । खरगोश निराश हो गया था, लेकिन वह कछुए के दृढ़ संकल्प और दृढ़ता से भी बहुत प्रभावित था।

कहानी की शिक्षा

यह कहानी हम सभी के लिए एक सबक है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि हम कितनी तेजी से भाग रहे हैं; अगर हम चलते भी रहते हैं, तो हम कुछ भी हासिल कर सकते हैं। तो अगली बार जब आपको यह लगे कि आप कुछ नहीं कर सकते हैं, तो खरगोश और कछुए की कहानी याद रखें और कभी हार न मानें!

बंटी की घर वापसी|Short Stories in Hindi for Kids

Short Stories in Hindi for Kids

Poor Boy Story : बंटी अभी अन्दर पानी पीने गया ही था, कि ढाबे का मालिक सरदार फूलसिंह चिल्ला पड़ा – ‘‘कहां मर गया बंटी देख नहीं रहा ग्राहकों के आने का टाईम हो रहा है। जल्दी से टेबल पर कपड़ा मार।’’

सुबह पांच बजे से बंटी काम कर रहा था। एक मिनट की भी फुर्सत नहीं मिल रही थी। दोपहर की गर्मी में अभी उसने सारी टेबल साफ की थीं, लेकिन तेज हवा से मिट्टी उड़ कर बार बार टेबल पर आ रही थी। बंटी जल्दी से पानी पीकर बाहर आया और कपड़ा लेकर जल्दी से टेबल साफ करने लगा।

आज उसने नाश्ता भी नहीं किया था। नाश्ता उसे तभी मिलता था। जब ढाबे पर रात को खाना बच जाता था। लेकिन ग्राहक ज्यादा होने के कारण खाना बचा ही नहीं। बंटी का भूख के मारे बुरा हाल था। लेकिन फूलसिंह तो जैसे उसकी जान का दुश्मन था। वह जल्दी जल्दी सफाई कर रहा था।

तभी सामने के ऑफिस में लंच का समय हो गया। थोड़ी देर में पूरा ढाबा ग्राहकों से भर गया। बंटी और उसके साथ दूसरे नौकर भाग-भाग कर ऑडर ले रहे थे। सफाई कर रहे थे।

इधर सरदार फूलसिंह चिल्ला-चिल्ला कर काम करवा रहा था। अपने नौकरों से उसे कोई मतलब नहीं था। उसे बस गल्ले में आ रहे पैसों से मतलब था।

बंटी का असली नाम कोई नहीं जानता था। सब उसे छोटू कहकर बुलाते थे। लंच टाईम के बाद भी करीब चार बजे तक ढाबे पर कोई न कोई आता रहा।

साफ सफाई के बाद फूलसिंह ने देखा कि थोड़ा खाना बचा है तो वह बोला – ‘‘चलो तुम लोग भी जल्दी से खाना खा लो फिर शाम के खाने की तैयारी करो और सुन विक्रम इनमें से किसी को भी पनीर की सब्जी मत दियो। रात को इसे चला देंगे।’’

विक्रम जो वहां खाना बनाता था। वह बोला – ‘‘मालिक कल की सब्जी है शाम तक तो खराब हो जायेगी।’’

तब फूलसिंह बोला – ‘‘अच्छा चल दे दे इन्हें थोड़ी सी सब्जी’’

बंटी और उसके साथ के लड़के एक टेबल पर बैठ कर खाना खाने लगे। ढाबे का मालिक अंदर जाकर सो गया। खाना खाने के बाद बंटी बैठ कर अपने पिछले दिनों के बारे में सोचने लगा।

बंटी एक गांव में रहता था। उसके माता पिता खेत में मजदूरी करते थे। वह दिन भर अपने साथ के बच्चों के साथ खेलता रहता था। न कोई चिन्ता, न कोई फिक्र।

कम में गुजारा हो जाता था। शहर से उसके पिता का दोस्त गांव गया और बोला – ‘‘अरे शहर में इतने काम के रोज चार सौ रुपये मिलते हैं। तुम्हारा बेटा भी अच्छे से पढ़ सकेगा वहां बड़े सरकारी स्कूल में मुफ्त में पढ़ाई होती है। इसके जितने बच्चे इंग्लिश में बात करते हैं।’’

बंटी के भविष्य की चिन्ता उन्हें गांव से शहर ले आई। एक बिल्डिंग में बंटी के माता पिता काम करने लगे। वहीं पास ही में एक छोटी से झुग्गी में रहने लगे। बंटी से उसके पिता ने कहा – ‘‘बस बेटा कुछ दिन की बात है थोड़े पैसे इकट्ठे हो जायें फिर तेरा दाखिला स्कूल में करवा दूंगा।’’

बंटी भी बहुत खुश था, पिता का वह दोस्त रोज घर आ जाता था। शाम को बंटी के पिता उसके साथ जाने लगे। उसने उन्हें शराब पिलाना शुरू कर दिया। कुछ ही दिनों में बंटी के पिता को शराब की ऐसी लत लगी कि उसने काम पर जाना छोड़ दिया। अब वह दिन भर शराब पीकर पड़ा रहता।

बंटी की मां मजदूरी करके लाती, तब कहीं चूल्हा जलता। बंटी की मां घर में क्लेश करती। वह चाहती थी, कि सब छोड़ कर गांव चलते हैं। बंटी के भविष्य का भी वास्ता देकर शराब छोड़ने के लिये कहती लेकिन बंटी के पिता पर कोई असर नहीं होता।

एक दिन बंटी बाहर खेल रहा था। तभी उसने जोर से चीख सुनी। बंटी जल्दी से भाग कर गया तो देखा बंटी के पिता ने उसकी मां को बुरी तरह मारा है। मां बेहोश पड़ी थी। पड़ोंसियों की मदद से उसे अस्पताल ले जाया गया। जहां डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया।

यह खबर सुनते ही बंटी का बाप भाग गया। बंटी अब अकेला रह गया। कुछ ही दिनों में पता लगा उसके पिता को पुलिस ने पकड़ लिया। बंटी की झुग्गी पर भी किसी ने कब्जा कर लिया।

बंटी भटकते भटकते इस ढाबे पर पहुंच गया। तब से वह ढाबे पर नौकरी कर रहा है।

बंटी की आंखों से आंसू बह रहे थे। न वे लोग शहर आते न ये सब होता। यही सोच कर बंटी रो रहा था। कुछ ही देर में फूलसिंह आ गया और चिल्लाने लगा।

बंटी और उसके साथ के दूसरे नौकर जल्दी से उठ कर शाम के खाने की तैयारी में लग गये।

इसी तरह समय बीत रहा था। एक दिन फूलसिंह के ढाबे पर कुछ अफसर आये छोटे बच्चों से काम करवाने के कारण उसे पकड़ कर ले गये साथ में बंटी और उसके साथ के दो नौकरों को भी पकड़ लिया गया।

बंटी से थानेदार ने पूछा – ‘‘लड़के तेरा गांव कहां है? तेरे मां-बाप कहां हैं?’’

बंटी उन्हें सारी बात बता देता है। यह सुनकर थानेदार किसी से फोन पर बात करता है। फिर बंटी को एक एन.जी.ओ. की मदद से अनाथ आश्रम भेज दिया जाता है।

बंटी अब अनाथ आश्रम में रहता है। वहां भी उसे काम करना पड़ता था। इसके साथ बड़े लड़के उसे मारते भी थे। सब सहकर भी बंटी कुछ नहीं बोलता था। बस उसे समय पर खाना मिल जाता था।

एक दिन बंटी के अनाथ आश्रम में एक थानेदार आया। उसने बंटी से बात की। वह बंटी को अपने साथ ले गया। बंटी के पिता की सजा पूरी होने वाली थी। उन्होंने बहुत मेहनत से जेल में काम किया जिससे उनकी आगे की सजा माफ हो गई।

थानेदार को उनसे हमदर्दी हो गई थी। उनके पछतावे को देखते हुए उसने बंटी को ढूंढने का वादा किया।

आज बंटी को देख कर उसके पिता उससे लिपट कर बहुत रोये। उन्हें देखकर बंटी भी रोने लगा।

जेल में किये काम के पैसे लेकर। बंटी के पिता ने वापस गांव जाने का फैसला किया। बंटी अपनी मां को खोकर और कुछ कड़वी यादों को लेकर अपने पिता के साथ वापस अपने गांव आ गया।